Nadi Shodhan




Nadi Shodhana or alternate nostril breathing is a simple yet powerful technique that settles the mind, body, and emotions. You can use it to quiet your mind before beginning a meditation practice, and it is particularly helpful to ease racing thoughts if you are experiencing anxiety, stress, or having trouble falling asleep.

There are several different styles of Nadi Shodhana, but they all serve the purpose of creating balance and regulating the flow of air through your nasal passages. In fact, the term Nadi Shodhana means “clearing the channels of circulation.” You can watch more in this video.



नाड़ी शोधन प्राणायाम क्या है? 
नाड़ी = सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली; शोधन =सफाई, शुद्धि; प्राणायाम =साँस लेने की प्रक्रिया।

नाड़ियाँ मानव शरीर में सूक्ष्म ऊर्जा चैनल है जो विभिन्न कारणों से बंद हो सकती है। नाड़ी शोधन प्राणायाम साँस लेने की एक ऐसी प्रक्रिया है जो इन ऊर्जा प्रणाली को साफ कर सुचारु रूप से संचालित करने में मदद करती है और इस प्रकार मन शांत होता है। इस प्रक्रिया को अनुलोम विलोम प्राणायाम के रूप में भी जाना जाती है। इस प्राणायाम को हर उम्र के लोग कर सकते हैं।

Nadi Shodhana Practice :
Next time you find yourself doing too many things at once, or you sense panic or anxiety begin to rise, move through a few rounds of alternate nostril breathing. It’s a great way to hit the reset button for your mental state.

Take a comfortable and tall seat, making sure your spine is straight and your heart is open.
Relax your left palm comfortably into your lap and bring your right hand just in front of your face.
With your right hand, bring your pointer finger and middle finger to rest between your eyebrows, lightly using them as an anchor. The fingers we’ll be actively using are the thumb and ring finger.
Close your eyes and take a deep breath in and out through your nose.
Close your right nostril with your right thumb. Inhale through the left nostril slowly and steadily.
Close the left nostril with your ring finger so both nostrils are held closed; retain your breath at the top of the inhale for a brief pause.
Open your right nostril and release the breath slowly through the right side; pause briefly at the bottom of the exhale.
Inhale through the right side slowly.
Hold both nostrils closed (with ring finger and thumb).
Open your left nostril and release breath slowly through the left side. Pause briefly at the bottom.
Repeat 5-10 cycles, allowing your mind to follow your inhales and exhales.

नाड़ियों में बाधा का कारण
नाड़ियाँ तनाव के कारण बंद हो सकती हैं।
भौतिक शरीर में विषाक्तता भी नाड़ियों की रुकावट की एक कारण हो सकता है।
नाड़ियाँ शारीरिक और मानसिक आघात के कारण बंद हो सकती है।
अस्वस्थ जीवन शैली।
क्या होता है जब ये नाड़ियाँ बंद हो जाती हैं?
इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना ये तीन नाड़ियाँ, मानव शरीर की सबसे महत्वपूर्ण नाड़ियाँ हैं।

जब इड़ा, नाड़ी ठीक तरीके से काम नही करती अथवा बंद हो जाती हैं तब व्यक्ति ज़ुकाम, मानसिक ऊर्जा में कमी, अस्थिर पाचन क्रिया, बंद बायाँ नथुना, और निराश व उदासी का अनुभव करता है। जब पिंगला नाड़ी ठीक रूप से काम नही करती अथवा बंद हो जाती है तब गर्मी, जल्दी गुस्सा और जलन, शरीर में खुजली, त्वचा और गले में शुष्कता, अत्यधिक भूख, अत्यधिक शारीरिक या यौन ऊर्जा और दायीं नासिका बंद होने का अनुभव होता है।

नाड़ी शोधन प्राणायाम (अनुलोम विलोम प्राणायाम) करने के तीन मुख्य कारण
अनुलोम विलोम प्राणायाम से मन को आराम मिलता है और इसे ध्यानस्थ स्थिति में प्रवेश करने के लिए तैयार करता है।
हर दिन बस कुछ ही मिनटों के लिए यह अभ्यास मन को स्थिर, खुश और शांत रखने में मदद करता है।
यह संचित तनाव और थकान को दूर करने में मदद करता है।

नाड़ी शोधन प्राणायाम (अनुलोम विलोम प्राणायाम) करने की प्रक्रिया 
अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा और कंधों को ढीला छोडकर आराम से बैठें। एक कोमल मुस्कान अपने चेहरे पर रखें।
अपने बाएँ हाथ को बाएँ घुटने पर रखें, हथेली आकाश की ओर खुली या चिन मुद्रा में। (अंगूठा और तर्जनी हल्के छूते हूए)।
तर्जनी और मध्यमा को दोनों भौहों के बीच में, अनामिका और छोटी उंगली को नाक के बाएँ नासिका  पर और अंगूठे को दाहिनी नासिका पर रखें। बाएँ नासिका को खोलने और बंद करने के लिए हम अनामिका और छोटी उंगली का और दाएँ नासिका के लिए अंगूठे का उपयोग करेगें।
अपने अंगूठे को दायीं नासिका पर धीरे से दबा कर बायीं नासिका से साँस बाहर निकालें।
अब बायीं नासिका से साँस लीजिये और उसके बाद बायीं नासिका को अनामिका और छोटी उंगली के साथ धीरे से दबाएँ। दाहिने अंगूठे को दायीं नासिका से खोलकर दायीं नासिका से साँस बहार निकालें।
दायीं नासिका से साँस लीजिये और बायीं ओर से साँस छोड़िए। अब आपने अनुलोम विलोम प्राणायाम का एक राउंड पूरा कर लिया है। एक के बाद एक नासिका से साँस लेना और छोड़ना जारी रखें।
इस तरह बारी-बारी से दोनों नासिका के माध्यम से साँस लेते हुए 9 राउन्ड पूरा करें। हर साँस छोड़ने के बाद याद रखें कि उसी नासिका से साँस भरे जिस नासिका से साँस छोड़ी हो। अपनी आँखें पूर्णतः बंद रखें और किसी भी दबाव या प्रयास के बिना लंबी, गहरी और आरामदायक साँस लेना जारी रखें।

नाड़ी शोधन प्राणायाम (अनुलोम विलोम प्राणायाम) का अभ्यास करते समय इन बातों का ख्याल रखें 
साँस पर जोर न दें और साँस की गति सरल और सहज रखें। मुँह से साँस नहीं लेना है या साँस लेते समय किसी भी प्रकार की ध्वनि ना निकाले।
उज्जयी साँस का उपयोग न करें।
उंगलियों को माथे और नाक पर बहुत हल्के से रखें। वहाँ किसी भी दबाव लागू करने की कोई जरूरत नहीं है।
नाड़ी शोधन प्राणायाम के पश्चात् यदि आप सुस्त व थका हुआ महसूस करते हैं तो अपने साँस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया पर ध्यान दें। साँस छोड़ने का समय साँस लेने से अधिक लंबा होना चाहिए अर्थात् साँस को धीमी गति से बाहर छोड़ें।

नाड़ी शोधन प्राणायाम (अनुलोम विलोम प्राणायाम) करने के कुछ अच्छे नुस्खे 
अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के पश्चात ध्यान करना लाभदायक है।
इस साँस की प्रक्रिया का अभ्यास पद्म साधना के भाग के रूप में भी किया जा सकता है।