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Jal Neti


Jal Neti is a technique to to purify and clean the nasal path, right from the nostrils to the throat. It is one of the six-purification procedures or ‘Shatkarmas’ mentioned in Hatha Yoga Pradeepika.

What do you need
A Neti pot
A pinch of salt
Lukewarm water
A Neti pot is usually small and has a long spout on one side, which is small enough to be inserted gently into one of the nostrils during the process.

Benefits
Daily practice helps maintain the nasal hygiene by removing the dirt and bacteria trapped along with the mucus in the nostrils. It soothes the sensitive tissues inside the nose, which can assuage a bout of rhinitis or allergies. It is beneficial in dealing with asthmatic conditions and making breathing easier. It reduces tinnitus and middle ear infections. It helps abate sinusitis or migraine attack. It can alleviate upper respiratory complaints like sore throats, tonsils, and dry coughs. It can clear the eye ducts and improve vision. Clearing of nasal passages helps improve the sense of smell and thereby improves digestion. It calms the nervous system and the mind. It also helps relieve stress and brings clarity to the mind. People have experienced a reduction in their anger by practicing Jal Neti regularly. It helps improve the quality of your meditation.

Precautions
The nose should be dried properly after the process. People with high blood pressure should be careful during this part. If one feels dizzy while drying the nose, then it should be done standing upright. Take care that you do not leave any water in the nasal passages as it might cause an infection. Like any other yogic practice, learn it from an expert practitioner. Jal Neti goes beyond nasal cleansing and helps in aligning your body, mind, and soul. hop helps it all. But wait, there's so much more. Enjoy optimal health and inner freedom.

In Hindi
मौसम बदलने पर सर्दी-जुकाम और सांस की समस्या दूर करती है जलनेति। जलनेति में नमकीन जल का प्रयोग करने से नाक के अंदर झिल्ली में रक्तप्रवाह बढ़ता है। जलनेति में पानी से नाक की सफाई की जाती है, जिससे आपको साइनस, सर्दी- जुकाम, प्रदूषण से बचाया जा सकता है। इसे करने के लिए नमकीन गुनगुने पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इस क्रिया में पानी को नेति पात्र की मदद से नाक के एक छिद्र से डाला जाता है और दूसरे से निकाला जाता है। फिर इसी क्रिया को दूसरे नॉस्ट्रिल से किया जाता है। जलनेति दिन में किसी भी समय की जा सकती है। यदि किसी को जुकाम हो तो इसे दिन में कई बार कर सकते हैं। इसके लगातार अभ्यास से यह नासिका क्षेत्र में कीटाणुओं को पनपने नहीं देती। 

आधे लीटर गुनगुने पानी में आधा चम्मच नमक मिलाएं और नेति के बर्तन में इस पानी को भर लें। अब आप कागासन में बैठें। पैरों के बीच डेढ़ से दो फीट की दूरी रखें। कमर से आगे की ओर झुकें। नाक का जो छिद्र उस समय अधिक सक्रिय हो, सिर को उसकी विपरीत दिशा में झुकाएं। अब नाक के एक छेद में नेति पात्र की नली से पानी डालें। पानी धीरे-धीरे डालें। इस दौरान मुंह खुला रखें और लंबी सांस न लें। यह पानी नाक के दूसरे छेद से निकलना चाहिए। इसी प्रक्रिया को नाक के दूसरे छेद से करें। दोनों छेद से यह प्रक्रिया करने के बाद सीधे खड़े हो जाएं और नीचे सुझाए गए जलनेति क्रिया के पश्चात करने वाले यौगिक अभ्यास को करें। इससे नाक के अंदर का सारा पानी, बैक्टीरिया और म्यूकस बाहर आ जाता है।   

नाक की सफाई : यह नाक की सफाई करती है जिससे सांस नली सम्बन्धी परेशानी, पुरानी सर्दी, दमा, सांस लेने में होने वाली समस्या को दूर करती है। आंख, कान और गले की समस्या दूर : आंखों में पानी आना और आंख में जलन की समस्या कम होती है। कान, और गले को बीमारियों से बचाती है। सिरदर्द, अनिद्रा, सुस्ती में जलनेति करना फायदेमंद है।
 
यह सुनिश्चित करना जरूरी है की जलनेति क्रिया के बाद नाक के छिद्रों में पानी बचा न रहे क्योंकि इससे सर्दी हो सकती है।  कई बार नथुने बंद हो जाते हैं या सांस लेने में तकलीफ होती है। इससे संक्रमण तथा शरीर के तापमान आदि में वृद्धि हो सकती है। इसलिए जलनेति क्रिया के बाद एक नथुने को बंद करके दूसरे नथुने से, फिर दुसरे नथुने को बंद करके पहले नथुने से धीरे-धीरे हवा बाहर फेंके। शुरुआत में यह क्रिया किसी एक्सपर्ट की मौजूदगी में करना चाहिए।  जलनेति के बाद नाक को सुखाने के लिए कपालभाति प्राणायाम करना लाभकारी है। 
जलनेति करने के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए। इससे पानी श्वास नलिका के मार्ग से होकर फेफड़ों तक पहुंचता है। फेफड़ों में संक्रमण हो सकता है। 

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