Rishikesh
29 Nov 2001
India
Confidence with Humility: The Rarest Combination
One of the rarest combinations in the human personality is the co-existence of confidence and humility. Often people who are confident are not humble and people with humility are not confident.
Confidence blended with humility is most appreciated by everybody.
Question: How can confidence be developed in one who is humble and humility in one who is confident?
Sri Sri:
When you see your life from a bigger context of time and space, then you realize your life is nothing.
When you are humble you need to see that you are unique and dear to the Divine, which brings confidence, and when you realize you are insignificant, that brings confidence.
When you have a guru, you cannot be arrogant. Your guru gives you confidence and also brings humility in you. The weakness in humility and the arrogance in confidence are removed.
You are left with confidence and humility!
Jai Guru Dev
Hindi translation
साप्ताहिक ज्ञानपत्र ३३३
२९ नवम्बर, २००१
ऋषिकेश, भारत
आत्मविश्वास और विनम्रता: एक दुर्लभ मिश्रण
आत्मविश्वास और विनम्रता का एक साथ विद्यमान होना अति दुर्लभ मिश्रण है। प्रायः जिनमे आत्मविश्वास होता है वे विनम्र नही होते और जिनमे विनम्रता होती है उनमें आत्मविश्वास नही होता। विश्वास और विनम्रता का सम्मिश्रण सभी को सर्वाधिक सर्वप्रिय होता है।
प्रश्न: जो व्यक्ति विनम्र है उसमें आत्मविश्वास कैसे उत्पन्न किया जा सकता है और जिसमे आत्मविश्वास है उसे विनम्र कैसे बनाया जा सकता है?
श्री श्री: पहला जब तुम अपने जीवन को एक विशाल दृष्टि से कल और स्थान के परिपेक्ष्य में देखते हो तब तुम अनुभव करते हो कि तुम्हारा जीवन कुछ भी नही है। दूसरा जो लोग विनम्र होते है उन्हें यह जानने की आवश्यकता है कि वे अद्वितीय और ईश्वर के अति प्रिय है इससे उनमे आत्मविश्वास उत्पन्न होता है। और जब तुम यह अनुभव करते हो की तुम नगण्य हो इससे भी आत्मविश्वास जाग्रत होता है। और तीसरा यदि तुम्हारे पास गुरु है तब भी तुम अभिमानी नही रह सकते। गुरु तुम मे आत्मविश्वास लाते है और विनम्रता भी लाते है। विनम्रता से दुर्बलता और आत्मविश्वास से अभिमान निकल जाता है। और जो तुम्हारे पास बचता है वह है- आत्मविश्वास और विनम्रता।।
जय गुरुदेव